वसीयत को हिंदी में इच्छा पत्र और अंग्रेजी में विल (वसीयत) कह।जाता है। निश्चित रूप से यह कहना संभव नहीं है कि वसीयत सबसे पहले कहां पर अस्तित्व में आई वैसे यह माना जाता है कि वसीयत का श्रीगणेश बेबीलोन और असीरिया में हुआ धीरे धीरे जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ सभ्य देशों में कानून द्वारा यह व्यवस्था की गई कि किसी संपत्ति का मालिक स्वयं यह निश्चित कर सकता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का मालिक कौन बने वास्तव में वसीयत ऐसे व्यक्ति के पक्ष में लिखी जाती है जो सामान्यता वसीयत लिखने वाले के निकटतम रिश्ते में होता है और वसीयत कर्ता की सेवा आदि करके उसे हर प्रकार से संतुष्ट रखता है और वसीयत कर्ता का यह भी विश्वास रहता है कि ऐसा व्यक्ति भविष्य में भी उसकी सेवा करेगा और उसकी मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार आदि नियमिता संपन्न करेगा हिंदू विधि के शुरुआती चरण में इच्छा पत्र का उल्लेख नहीं पाया जाता है लेकिन धीरे-धीरे विधि के विकास के साथ ही साथ वसीयत का भी प्रचलन शुरू हुआ और बाद में वसीयत को विधिक मान्यता प्रदान कर दी गई वसीयत एक प्रकार की विधिक घोषणा है जिसके द्वारा वसीयत कर्ता अपनी मृत्यु के पश्चात अपनी संपत्ति के निस्तारण के संबंध में अपने जीवन काल में ही व्यवस्था कर देता है वसीयत कर्ता द्वारा की गई इस प्रकार की घोषणा वसीयत कर्ता के मृत्यु के बाद प्रभावी होती है इस प्रकार से स्पष्ट है कि वसीयत वसीयत कर्ता की संपत्ति के संबंध में ऐसी घोषणा है जो वसीयत कर्ता की मृत्यु के बाद प्रभावी होती है
Saturday, January 8, 2022
वसीयत क्या होती है
वसीयत को हिंदी में इच्छा पत्र और अंग्रेजी में विल (वसीयत) कह।जाता है। निश्चित रूप से यह कहना संभव नहीं है कि वसीयत सबसे पहले कहां पर अस्तित्व में आई वैसे यह माना जाता है कि वसीयत का श्रीगणेश बेबीलोन और असीरिया में हुआ धीरे धीरे जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ सभ्य देशों में कानून द्वारा यह व्यवस्था की गई कि किसी संपत्ति का मालिक स्वयं यह निश्चित कर सकता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का मालिक कौन बने वास्तव में वसीयत ऐसे व्यक्ति के पक्ष में लिखी जाती है जो सामान्यता वसीयत लिखने वाले के निकटतम रिश्ते में होता है और वसीयत कर्ता की सेवा आदि करके उसे हर प्रकार से संतुष्ट रखता है और वसीयत कर्ता का यह भी विश्वास रहता है कि ऐसा व्यक्ति भविष्य में भी उसकी सेवा करेगा और उसकी मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार आदि नियमिता संपन्न करेगा हिंदू विधि के शुरुआती चरण में इच्छा पत्र का उल्लेख नहीं पाया जाता है लेकिन धीरे-धीरे विधि के विकास के साथ ही साथ वसीयत का भी प्रचलन शुरू हुआ और बाद में वसीयत को विधिक मान्यता प्रदान कर दी गई वसीयत एक प्रकार की विधिक घोषणा है जिसके द्वारा वसीयत कर्ता अपनी मृत्यु के पश्चात अपनी संपत्ति के निस्तारण के संबंध में अपने जीवन काल में ही व्यवस्था कर देता है वसीयत कर्ता द्वारा की गई इस प्रकार की घोषणा वसीयत कर्ता के मृत्यु के बाद प्रभावी होती है इस प्रकार से स्पष्ट है कि वसीयत वसीयत कर्ता की संपत्ति के संबंध में ऐसी घोषणा है जो वसीयत कर्ता की मृत्यु के बाद प्रभावी होती है
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