भारत के संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं सम्मान और न्याय पूर्ण जीवन जीने का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है किंतु कई बार जानकारी के अभाव में लोगों को अपने हक व न्याय से वंचित रहना पड़ता है लोगों तक कानून की पहुंच बड़े और उन्हें नैतिक न्याय मिले इसके लिए सरकार लीगल एड यानी मुफ्त कानूनी सहायता देती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 304 में यह प्रावधान किया गया है कि जहां सेशन न्यायालय के समक्ष किसी विचारण में अभियुक्त का प्रतिनिधित्व किसी प्लीडर द्वारा नहीं किया जाता है और जहां न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि अभियुक्त के पास किसी प्लीडर को नियुक्त करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं है वहां न्यायालय उसकी प्रतिरक्षा के लिए राज्य के व्यय पर प्लीडर उपलब्ध कराता है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
वसीयत को हिंदी में इच्छा पत्र और अंग्रेजी में विल ( वसीयत ) कह।जाता है। निश्चित रूप से यह कहना संभव नहीं है कि वसीयत सबसे पहले कहां पर अस्त...
-
: मानव जीवन संघर्षों से भरा है आए दिन हम लोग किसी न किसी संघर्ष को लेकर सुबह उठते है। प्रत्येक व्यक्ति रात को सोने से पहले सुबह की दिन...
-
दोस्तों प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी न कभी तो भूमि /प्लाट तो खरीदता ही है लेकिन क्या आप जानते है कि यदि बैनामा करवाते समय यदि कोई त...
2 comments:
Hii
Super
Post a Comment